मेरा नाम स्नेहलता है मैं अड़तीस साल की खूबसूरत औरत हूँ मैं जवान और सेक्सी हूँ पर विधवा हूँ मेरा पति पिछले साल ही छोड़ गया। वो कार हादसा अभी तक मेरे सामने वैसे ही नाचता है। यमुना एक्सप्रेसवे पर मेरी कार दुर्धटना ग्रस्त हो गयी और पति की मौत हो गयी। मैं अपनी बेटी के साथ नोएडा में रहती हूँ। मेरी बेटी खूबसूरत और कमसिन है। अभी कि मेरी बेटी की उम्र मात्र 20 साल है शादी मैंने इसलिए जल्दी कर दी एक तो मेरा पति नहीं है और दूसरा जमाना खराब है मुझे डर था की जवान लड़की घर में हो तो मां-बाप को बहुत मुश्किल हो जाता है। इसीलिए मैंने उसके साथ ही जल्दी कर दी। क्योंकि मुझे भी एक गार्जियन की जरूरत थी। और मैं ऐसे लड़के को देख रही थी जो अकेला हो जिसके मां-बाप नहीं हो ताकि मैं उसके साथ अपने बची हुई जिंदगी को आराम से जी सकूं
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मैंने एक वेबसाइट पर उसे लड़के के बारे में पता कि जहां पर उसने अपने शादी की प्रोफाइल डाल रखी थी मुझे पसंद आया अपने बेटी को भी दिखाया मेरी बेटी को भी पसंद आ गया वह लड़का नोएडा के कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है मां-बाप उसके नहीं है घर में भी कोई नहीं है एक बहन है उसकी शादी हो चुकी है। बिना देर किए मैंने तुरंत ही अपनी बेटी का रिश्ता कर दे और शादी फटाफट हो गई।
हम लोग उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहते थे बेटी की शादी हुई तो बेटी दामाद जी के साथ नोएडा आ गई। मैं गांव में ही थी ऐसे में तुरंत कैसे आती है अपनी बेटी के यहां। पर मेरी बेटी और दामाद को अच्छा नहीं लगा कि मैं अकेले गांव में रहूं। बेटी फोन करके बोली की मम्मी तुम भी आ जाओ रवि कह रहा है की सासू मां अब हम लोग के साथ ही रह ले तो अच्छा है। तो आप तैयार रहना मैं उनको 28 दिसंबर को भेज रही हूं और आप उन्हें के साथ आ जाना। मेरे दामाद जी 28 दिसंबर को मुझे साथ लेने के लिए नोएडा से लखनऊ आ गए लखनऊ के बगल में ही मेरा गांव है।
रवि जो मेरे दामाद हैं उनकी उम्र करीब 28 साल की है मेरी बेटी इसे 10 साल छोटी है और मैं अपने दम आपसे 10 साल बड़ी हूं। दामाद जी बहुत ही अच्छे इंसान हैं बहुत खुशमिजाज वह हमेशा मजाक करते हैं। तो बात उसे दिन की है जब वह लखनऊ आए थे शाम के 4:00 बजे के करीब वह घर पर पहुंचे। मैं बहुत उसे दिन खुश थी मुझे ऐसा ही दामाद चाहिए था जो मुझे अपनी मां की तरह प्यार करें। पर मेरा दामाद एक कदम आगे निकला वह मैं आगे बताऊंगी। दामाद को देखकर मैं गले लगा ली पर कभी भी भूल कर जवान लड़के को गले नहीं लगाने चाहिए। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां जब उनके छाती से टकराई तो मेरे तन बदन में आग लग गया। वह भी मुझे आगोश में ले लिए।
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पर हम दोनों ने एक दूसरे से नज़रे चुराते हुए अलग हुए और पूछने लगे कैसी हो मम्मी जी। मैं बोली ठीक हूं। उन्होंने कहा अब आपके यहां अकेले रहने की जरूरत नहीं है अब आप मेरे साथ रहना इसलिए मैं आया हूं। मैं बोलिए एक-दो दिन का काम है यहां पर बैंक का वह काम को निपटाकर हम आपके साथ ही चल देंगे। उन्होंने कहा कोई बात नहीं आप दो-तीन दिन लगा लो सारे काम पूरा एक बार ही कर लो ताकि बार-बार आपका आना यहां नहीं हो। मुझे बहुत अच्छा लगा उन्होंने यह सब बात बोल तो।
रात को उनके लिए मैं खाना बनाई खाना खाए और बातचीत करने लगे एक ही रजाई में बैठकर टीवी चल रहा था हम दोनों बातें कर रहे थे। रात के करीब 11:00 बज गए थे। मैं बहुत ही होता किस्म की औरत हूं मेरी चूचियां बड़ी-बड़ी है मेरे गांड गोल है मेरे हाथ अभी भी लाल है लंबे बाल गोरी चिट्टी औरत हूं। ऐसे में किसी मर्द के साथ रात के 11:00 बजे एक बेड में बैठे भी रहे तो भी अगले का दिल दिमाग खराब हो ही जाता है मेरे दामाद जी के साथ भी यही हुआ था। सोने का समय हो गया था दामाद जी बोले मैं बाहर सो जाता हूं मम्मी जी आप यही सो जाओ मुझे भी अच्छा नहीं लगा मैंने कहा कोई बात नहीं एक ही बेड पर सो जाते हैं अलग-अलग रजाई ले लेते हैं उन्होंने काफी रजाई अलग-अलग लेने की क्या जरूरत है।
हम दोनों अभी एक ही रजाई में आ गए मेरे साथ है तेज तेज चलने लगी थी और शायद मेरे दामाद जी की सांस भी तेज चल रही थी क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे को पाने की ख्वाहिश में थे। पता चल जाता है नजरिए से की अगला क्या सोच रहा है। वही हुआ जिसका डर था उन्होंने कहा मम्मी जी आप बहुत सुंदर हो बहुत हॉट और सेक्सी हो। मैं बोली क्या करूं अब यह किसी काम का नहीं है। उन्होंने कहा क्यों क्यों नहीं किसी काम का है मैं हूं ना आपके लिए अब मैं आपको वह सारी खुशियां दूंगा इसके आप हकदार हो। तो मैं बोली कि आप मुझे वही खुशियां दे सकते हो जो एक दामाद अपनी सास को देगा। उन्होंने कहा नहीं नहीं मैं इसे आगे बढ़ कर दे सकता हूं आपको।
दोस्तों क्या बताऊं मैं भी बातों में आ गई मुझे लगने लगा पति नहीं तो दामाद ही सही। और मेरी नज़रें जैसे उनके नज़रों से टकराई वह करीब आ गए मेरे होंठ पर अपना होंठ रख दिए अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख दिए। जैसे ही उनका हाथ मेरे चूचियों पर पड़ा मैं मचल गई। मेरी सांसे तेज तेज चलने लगी मैं आहे भरने लगी। उन्होंने मेरे होंठ पर अपना उंगली रख और फिर अपना हाथ सरकते हुए मेरे गागर्दन से होते हुए मेरे चूचियों पर ले जाकर कस के दबा दिए। उसके बाद मेरे नाभि में उंगली को फेरते हुए। मेरे चूत पर अपना हाथ उन्होंने रख दिया।
उन्होंने अपना होंठ मेरे होंठ पर रखकर चूमने लगे मैं पागल होने लगे मैं अपने आप को रोक रही थी कि मैं आगे न बढूं पर उन्होंने मुझे मजबूर कर दिया मैं तुरंत ही उनके ऊपर चढ़ गई दोनों हाथों को पकड़ ली और उनके होंठ को चूमने लगे वह मेरी चूचियों को दबाने लगे मैं उनके होंठ को चूमने लगे मेरे लंबे लंबे बाल उनके जिस्म पर लहराने लगे। उन्होंने तुरंत ही मेरे ब्लाउज के हक को खोल दिया और ब्रा का हूं खोलकर मेरे दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को उसे आजाद किया।
बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए उन्होंने निप्पल को अपने दांतों से चबाने लगे चूसने लगे। मैं भी चूचियों को पकड़ कर उनके मुंह में देने लगी। मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी। मैंने एक-एक कपड़े तुरंत उतार दिए। उन्होंने मेरी ब्लाउज और ब्रा को पहले खोल दिया था साड़ी को मैं तुरंत नीचे फेंक दी और पेटिकोट का नाडा खोलकर पेंटी उतार दी। दामाद जी ने भी अपना सारा कपडा उतार कर नंगा हो गया। रजाई के अंदर दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े। मैं भी सेक्स की भूखी थी मैं अपने दामाद जी के लंड को पकड़ ली और हिलाने लगी।
मैंने तुरंत ही लंड जी के होठ को चूमते हुए छाती को सहलाई और लंड को पकड़ को हिलाते हुए सेक्सी अदाओं से उनकी तरफ देखा और फिर मुँह में ले ली। लंड चूसने लगी अपने कंठ तक ले जाती बहुत ही मोटा और लम्बा लंड था दामाद जी का मैं मदमस्त नजरों से दामाद जी को देखती रही और लंड को चूसती रही. मन ही मन सोच रही थी भगवान् ने मेरे ले ऐसा दामाद भेजा जो मेरी मेरी बेटी से दस साल बड़ा और मेरे से दस साल छोटा। यानी दोनों को बराबर खुश रखेगा।